दिल को राहत है इस बहाने से

दिल को राहत है इस बहाने से

दिल को राहत है इस बहाने से

तेरी ग़ज़लों को गुनगुनाने से
दिल को राहत है इस बहाने से

दिल में कितने ही उठ गये तूफां
इक ज़रा उनके मुस्कुराने से

लुत्फ़ आने लगा है अब मुझको
नाज़ नखरे तेरे उठाने से

प्यार के सिक्के हैं बहुत मुझ पर
रोज़ लूटा करो खज़ाने से

ढह गया है महल उमीदों का
सिर्फ़ उनके नज़र चुराने से

बेवफ़ा मत कहो उसे कोई
वो था मजबूर इस ज़माने से

अब भी उठती हैं ख़ुशबुएं साग़र
उसकी मेरे ग़रीबख़ाने से

Vinay
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003

यह भी पढ़ें : –

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *