Zindagi Par Kavita

दो घड़ी ठहर जा जिंदगी | Zindagi Par Kavita

दो घड़ी ठहर जा जिंदगी

( Do ghadi thahar ja Zindagi

 

हो रही बरसात प्रेम की, नेह दिलों में छा गया।
सबसे हिलमिल जीने का, हमें सलीका आ गया।

 

मधुर प्रीत की वजे बांसुरी, कर लूं थोड़ी बंदगी।
दीप जला मनमंदिर में, दो घड़ी ठहर जा जिंदगी।

 

मुसाफिर मंजिल का, मनमौजी मुस्काता जाऊं।
जीवन एक संघर्ष यात्रा, गीत गुनगुनाता जाऊं।

 

दूर तलक रोशनी आये, जीवन में खुशियां चंदगी।
नेह के मोती लुटा लूं ,दो घड़ी ठहर जा जिंदगी।

 

एक मिसाल दुनिया में, करूं चुनौती का सामना।
बड़े बुजुर्ग लाचार मिले, बढ़कर हाथ थामना।

 

कोई कहर का मारा हो, रखना थोड़ी दिल्लगी।
जा मिलूं उन अपनों से, दो घड़ी ठहर जा जिंदगी।

 

?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

Poem on truth of life in Hindi | सुख दुख सब मन की माया

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *