फूल

फूल | Phool kavita

 फूल

( Phool kavita )

 

–> ये फूलों का संसार, ये फूलों का संसार ||
1.फूलों का संसार बेहद रंगीन, सुंदर सुगंधित रहता है |
फूलों के साथ जीना सीखो, हर फूल कुछ तो कहता है |
लाल-गुलाबी-सफेद-जामुनी, कुछ सतरंगी होते हैं |
कुछ तो होते बड़े सुनहरे, कुछ छोटे-छोटे होते हैं |
–> ये फूलों का संसार, ये फूलों का संसार ||
2.फूल गुलाब का खुशबू के संग, कांटों मे भी मुस्काए |
औरों की खुशियां दुगनी कर, वो हंसते हंसते मिट जाए |
वो टूट-टूट कर बिखर गया, बन इत्र भी हमको महकाए |
दुनियां मे कैसे रहना है, ये फूल भी हमको सिखलाए |
–> ये फूलों का संसार, ये फूलों का संसार ||
3.कमल को देखो कीचड मे भी, बडे शान से खिलता है |
सिखलता मेहनत करना, और रब से भी वो मिलता है |
यश तो देखो कमल-फूल का, राष्ट्रीय फूल कहलाता है |
मेहनत से सब कुछ संभव है, हम सब को बतलाता है |
–> ये फूलों का संसार, ये फूलों का संसार ||
4.एक और फूल को देखो, चलना हमको सिखलाता है |
सूरज के संग-संग उठ जाता, सूरज संग चलता जाता है |
देखो और समझो फूलों को, कई राज समेटे रहते हैं |
कुदरत के संग जीना सीखो, वो हमको कहते रहते हैं |
–> ये फूलों का संसार, ये फूलों का संसार ||

 

कवि :  सुदीश भारतवासी

 

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सुनहरी सुबह  | Kavita

 

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