Gajanand par kavita
Gajanand par kavita

प्रथम पूजनीय आराध्य गजानंद

( Pratham poojaneeyai aradhya gajanand ) 

 

 

प्रथम पूजनीय प्यारे आराध्य गजानन्द,

मनोकामना पूरी करतें हमारे ‌गजानन्द।

कष्ट विनायक रिद्धि-सिद्धि फलदायक,

झुकाकर शीश हम करते है अभिनंदन।।

 

गणपत गणेश गणनायक एवं गजराज,

भोग में चढ़ाते आपके मोदक महाराज।

शीश पर तुम्हारे स्वर्ण का मुकुट चमके,

ज्ञान के भंडार लंबोदर शुभ करों काज।।

 

माता पार्वती और भोले शंकर के प्यारे,

हम दीन-दुखियों के बाप्पा आप सहारे।

पावन चतुर्थी पर घर पधारें आप हमारे,

सफल करो प्रभु सारे काज अब हमारे।।

 

सर्वप्रथम जपते सभी आपका ही नाम,

तीनो लोक गाऍं प्रभु आपका गुणगान।

कार्तिक के भाई सब की करतें भलाई,

भक्तों की सदा ही आपने लाज निभाई।।

 

रिद्धि-सिद्धि से आपने शादी जो रचाई,

ढोल और नगाड़े तेरे बाजे यह सहनाई।

लाभ एवं शुभ के आप राजा है जनक,

कई दैत्यों का नाश कर पहचान बनाई।।

 

 

रचनाकार :गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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