ग़म के साये में पल रही दिल्ली

ग़म के साये में पल रही दिल्ली

ग़म के साये में पल रही दिल्ली

 

ग़म के साये में पल रही दिल्ली

हाल पे अपनें रो उठी दिल्ली

 

हर तरफ़ देखो आग के शोले है

दुश्मन से कब  सुरक्षित रही दिल्ली

 

प्यार की बारिशें नही होती

नफ़रतों में हर पल  जली दिल्ली

 

क्या ख़ुशी से अब मुस्कुरायेगी

हर चेहरे से है ग़म भरी दिल्ली

 

दुश्मनों की नज़र लगी ऐसी

होश अपनें गवा गयी दिल्ली

 

नफ़रत के शोलों ने जला डाली

फूलों से थी  सारी सजी दिल्ली

 

क्या ख़ुशी के आज़म खिलेंगे गुल

गमज़दा ऐसी ये  हुई दिल्ली

 

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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