यहाँ ग़म जिंदगी में कम नहीं है ?

( Yahan gam Zindagi mein kam nahin hai ) 

 

यहाँ ग़म जिंदगी में कम नहीं है ?
ख़ुशी क़ा ही यहाँ आलम नहीं है

नहीं लगता यहाँ दिल इसलिये तो
की कोई गांव में हमदम नहीं है

ख़ुशी का फ़िर मुझे अहसास हो क्या
यहाँ दिल में भरा कम ग़म नहीं है

मुहब्बत को तरसा हूँ इस क़दर मैं
यहाँ तो कम हुआ मातम नहीं है

गमों की इसलिये ही तो लगी धूप
ख़ुशी की ही गिरी शबनम नहीं है

यहाँ तक़दीर सोई है ख़ुशी की
ख़ुशी का ही कभी आलम नहीं है

मुहब्बत किस तरह आज़म जीते फ़िर
यहाँ तो नफरतें भी कम नहीं है

 

शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )

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