आया सावन झूम के | Geet Aya Sawan Jhoom Ke
आया सावन झूम के
( Aya Sawan Jhoom Ke )
( 1 )
इठलाता बल खाता आया झूमता मदमाता आया।
झूम झूमकर सावन आया हरियाला सावन हर्षाया।
आया सावन झूम के
लहर लहर लहराता सा रिमझिम रिमझिम बरखा लाया।
उमड़ घुमड़ छाई बदरिया अंबर में बादल घिर आया।
फूल खिले चमन महकाया बहारों ने नवगीत सजाया।
शब्द शब्द सुरीली वाणी महफिल महकी राग सुनाया।
आया सावन झूम के
चहुंओर हरियाली छाई मेघ घटाएं अंबर आई।
गड़ गड़ गर्जन व्योम में मूसलाधार बरखा लाई।
बागों में झूले सावन के तीज त्योहार हुए पावन से।
डाली पत्ते खिले वन के महके कोने सब उपवन के।
आया सावन झूम के
सजनी सजी सखी हरसाई कोयल मीठी राग गाई।
मन मयूरा झूम के नाचे सुरसरि धरा उतरकर आई।
सर कूप तालाब लबालब शीतल पवन झोंका आया।
पुलकित तन मन सब हो गया रोम रोम सारा हर्षाया।
आया सावन झूम के
( 2 )
आया सावन झूम के गाए मेघ मल्हार
नभ घटाएं घिर आई बरसे मूसलाधार
लो आया सावन झूम के
रिमझिम रिमझिम झड़ी लगी ठंडी चले फुहार
हरियाली से लदी धरा बहती सुरभित बयार
सावन के झूले सजे आया राखी का त्यौहार
रेशम की डोर में झलकता भाई बहन का प्यार
लो आया सावन झूम के
मन मयूरा झूम के नाचे गाए गोरी मंगल गीत
सावन की मदमस्त हवायें हृदय उमड़ती प्रीत
महकती सब खिली वादियां खुशबू फिजाओं में
प्यार के मोती बरसते सावन की घटाओं में
लो आया सावन झूम के
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )