Geet der kardi aate aate
Geet der kardi aate aate

देर कर दी आते आते

( Der kardi aate aate )

 

खूब कमाया धन दौलत, थक गए तुम्हें बुलाते।
प्राण पखेरू उड़ गए उनके, जन्मदाता कहलाते।
उठ गया साया सर से तेरा, कभी पुत्र धर्म निभाते।
बुढ़ापे का सहारा भी कैसा, आशीष नहीं ले पाते।
देर कर दी आते आते,देर कर दी आते आते

कदम कदम पे ढाल बने, चलना तुम्हें सिखलाया।
शिक्षा दे रोशन जीवन को, काबिल तुम्हें बनाया।
याद करो तुम बचपन को, घर पे वो खुशियां लाते।
मांगी हर फरमाइश पूरी, जब तुम मचल से जाते।
देर कर दी आते आते,देर कर दी आते आते

उनका तो संसार तुम ही थे, दूर भला क्यों जाते।
दिल के जुड़े तार सभी थे, संबंध जरा निभाते।
मीठे मीठे बोल मधुर, जब जाकर तुम बतियाते।
इस धरा पर चंद सावन, फिर देख जरा वो पाते।
देर कर दी आते आते,देर कर दी आते आते

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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