मन के हारे हार है | Geet man ke haare haar hai
मन के हारे हार है
( Man ke haare haar hai )
मन के हारे हार है नर मन के जीते जीत
मनमौजी मनवा फिरे मन उमड़ती प्रित
मनमयूरा झूम के नाचे चलती मस्त बयार है
बुलंद हौसला उर भर लो मन के हारे हार है
मन के हारे हार है
मन मुस्काता मन इठलाता मन हिम्मत जुटाता है
मन का पंछी भरे उड़ाने आसमान छू जाता है
हिम्मत जोश जज्बा देता मन बरसाता प्यार है
मन की आंखें खोलो प्यारे मन के हारे हार है
मन के हारे हार है
हर मुश्किल हर बाधा से तूफान से भीड़ जाता है
कभी-कभी मन झूम झूम के मधुर तराने गाता है
मन को मजबूत बना लो जीवन में आती बहार है
सुख समृद्धि यश कीर्ति मिले मन के हारे हार है
मन के हारे हार है
मन उजियारा दमके सद्भावों की धारा बहती
उज्जवल मन में हर दम भाव भरी गंगा रहती
निर्मल शब्द सुरीले प्यारे आये गीतों की बहार है
अपनापन अनमोल उमड़ता मन के हारे हार है
मन के हारे हार है
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )