ऐ वतन | Ghazal ae watan
ऐ वतन
( Ae watan )
ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन
रोज हम तो करेगे नमन
हम लड़ेगे वतन के लिए
हाँ रहे ख़ुश सदा ये वतन
शबनमी हो न नफ़रत भरी
प्यार के गुल से महके चमन
देश पर आंच आने न दो
है सभी से मेरा ये कहन
जंग ऐसी उदूँ से लड़ूँ
देश के काम आये बदन
रोज आज़म करूं ये दुआ
हाँ रहे देश में ही अमन