दर्द के चेहरे पे भी उल्लास बन | Ghazal dard ke chehre
दर्द के चेहरे पे भी उल्लास बन
( Dard ke chehre pe bhi ullas ban )
दर्द के चेहरे पे भी उल्लास बन !
बन अगर सकता है तो विश्वास बन !!
मन झुलसते अपरिचय के ग्रीष्म में
चाहतों का इक नया मधुमास बन !!
जगत के निश्वास सारे शान्त कर दे
प्यार का तू ऐसा एक प्रयास बन !!
सान्त्वना के तीर्थ मिटते जा रहे
तू नया काशी – प्रयाग – प्रभास बन !!
चाहता है देश फिर से ऋषि नये
तू नया वाल्मीकि या रैदास बन !!
क्षुद्र तारा बन के तू मत टिमटिमा
जगमगाते चान्द का आभास बन !!
दूब तो कोई भी बन सकता है पर
तू अगर बन सके तो “आकाश” बन !!
कवि : मनोहर चौबे “आकाश”
19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .
482 001
( मध्य प्रदेश )
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