Haal e dil
Ghazal Haal -E- Dil

हाल ए दिल भी समझो

( Haal e dil bhi samjho )

 

1.

क्यो करते हो सवाल, हाल ए दिल भी समझों।
जीवन मे बडा बवाल, दर्द ए दिल को समझो।

पी कर भांग धतूरा, जी करता है मै सो जाऊँ,
मुश्किल  में हुंकार,  हमारे  दिल को समझों।

 

2.

दिल का दरिया भरा, प्यार ही प्यार से।
आके  डुबकी  लगा ले, तू भी प्यार से।

ये इशारा है मेरा, समझ लिजिए,
आइए शौक से दिल के संसार मे।

3.

जेहाद ए जुर्म नही होगा,मेरे शान ए वतन के।
कुर्बान  हूँ  मै तुझपे, मेरी जान  ए वतन  पे।

 

4.

जो होता हैं वो होने दो, मुझको थोड़ा सा सोने दो।
सब देख ही लेगे गिरधारी,मुझको सपनों में खोने दो।
हार जीत की करो ना चिन्ता,यश अपयश को जाने दो,
हाथ जोड़कर करो नमन, हरि को सपनों मे लाने दो।

 

5.

तुम मत रोना प्रिय मेरे, यह तेरा काम नही है।
जिससे मन मेरा लागा, मेरा घनश्याम वही हैं।
जो राधा का है मोहन, मीरा का नटवर नागर।
वो प्रेम रसिक इस जग का, मोरा मन झलकत गागर।

 

6.

समझ रहा हूँ हर बातों को, पर सबकी मजबूरी है।
बुझने ना दे आस का दीपक,ये ही बहुत जरूरी है।
सोने की रंगत तपने के, बाद निखर कर आएगा,
इसके आगे क्या कहना अब, ईश्वर की मंजूरी है।

 

✍?

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

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