है इबादत मुहब्बत | Hai Ibadat Muhabbat
है इबादत मुहब्बत
( Hai Ibadat Muhabbat )
है इबादत मुहब्बत, मुहब्बत करें
शहर में क्यों किसी से अदावत करें
मुल्क पर राज करना अलग बात है
हो सके तो दिलों पर हुकूमत करें
आँच आने न देंगें वतन पर कभी
मिल के हम नेकियों की हिदायत करें
दोस्तों से कहो आज फिर मुल्क के
सारे धर्मों की मिल कर हिफाज़त करें
नेक रस्ता चलें नेक रहबर बनें
हर बुरे काम से आप नफ़रत करें
खूबसूरत कहे खुशनुमा भी कहें
नौजवानी में ऐसी शरारत करें
सह लिया हर सितम आज रीमा यहाँ
यह न सोचा कभी कुछ शिकायत करें
रीमा पांडेय
कोलकाता