हम से | Ghazal Hum Se
हम से
( Hum Se )
मुदावा इस ग़म-ए-दिल का किया जाता नहीं हम से।
तुम्हारे बिन किसी सूरत जिया जाता नहीं हम से।
दबे लफ़्ज़ों में ले लेते हैं अक्सर ग़मज़दा हो कर।
तुम्हारा नाम भी खुल कर लिया जाता नहीं हम से।
जो तुम आकर पिलाओ तो ख़ुशी से पी के मर जाएं।
ये ज़ह्र-ए-इ़श्क़ अब तन्हा पिया जाता नहीं हम से।
तुम्हीं ने दिल को लूटा है ख़बर है ख़ूब यह हम को।
मगर इल्ज़ाम यह तुमको दिया जाता नहीं हम से।
न जाने क्या हुआ है पूछिए मत साह़िब-ए-आ़लम।
गिरेबां चाक भी अपना सिया जाता नहीं हम से।
जो जिसका काम है उससे वही तो काम लेते हैं।
नज़र का काम तो दिल से लिया जाता नहीं हम से।
न जाते गर दर-ए-साक़ी पे फिर जाते कहां बोलो।
फ़राज़ अब बिन पिए भी तो जिया जाता नहीं हम से।
पीपलसानवी