मर जायेगा | Ghazal Mar Jayega
मर जायेगा
( Mar Jayega )
तू जो छोड़ेगा तो बेमौत ही मर जायेगा
शाख से टूट के पत्ता ये किधर जायेगा।
उसके वादे का क्या है वो तो करेगा लेकिन
ऐन वो वक्त पे वादे से मुकर जायेगा।
इन दिनों ही है खुली उसकी हकीक़त मुझ पे
लग रहा अब वो मेरे दिल से उतर जायेगा।
सात पर्दों में छुपाओ न बताओ लेकिन
इश्क़ खुशबू है हवाओं में बिखर जायेगा।
ग़र जो लम्हात मसर्रत के नहीं ठहरे तो
दौरे गर्दिश भी न ठहरेगा गुज़र जायेगा।
नफ़्स को मार लगा ख़्वाहिशों पे कुछ बंदिश
ये जो कर ले तो तेरा हश्र सॅंवर जायेगा।
वो जो खुश बाश खड़ा साथ है रकीबों के
वो ही कहता था नयन हिज़्र में मर जायेगा।
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )