दिल लगा मत दिल्लगी में
दिल लगा मत दिल्लगी में
है सुकूँ बस दोस्ती में !
चैन उजड़े दुश्मनी में
ए ख़ुदा पैसे मुझे दे
जी रहा हूँ मुफ़लिसी में
कौन मिलता प्यार से है
अब नहीं उल्फ़त किसी में
दे ख़ुशी अब तो खुदाया
ग़म भरे है जिंदगी में
हिज्र बस आज़म मिलेगा
दिल लगा मत दिल्लगी में