मुश्किलों में | Ghazal mushkilon mein
मुश्किलों में हर पल ही ये वुजूद रहता है
( Mushkilon mein har pal hai ye wajood rahata hai )
मुश्किलों में हर पल ही ये वुजूद रहता है
दर्द शाइरी में दिल का नूमूद रहता है
रास्ता नहीं आता है नजर ख़ुशी कोई
सच कहूँ यहाँ ग़म का ख़ूब दूद रहता है
दौर हो गया कैसा कौन प्यार से मिलता
बीच अपनों के नफ़रत का हदूद रहता है
जल जाते यहाँ अपनें ख़ूब यार मुझसे ही
नाम शाइरी में जब भी वुरुद रहता है
जीस्त के ग़मों से दे दे रिहाई अब तो रब
रोज़ ही बहुत लब पर रब दरूद रहता है
के यहाँ ग़मों का पल टहरा है न जाने क्यों
हर घड़ी ख़ुशी का ही व़क्त जूद रहता है
चाह जो मिला आज़म को नहीं कभी भी तो
इसलिए बहुत दिल मेरा जुमूद रहता है