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लोगों में ही ख़ूब नफ़रत है यहाँ | Ghazal nafrat

लोगों में ही ख़ूब नफ़रत है यहाँ

( Logon mein hi khoob nafrat hai yahan )

 

 

लोगों में ही ख़ूब नफ़रत है यहाँ

कब दिलों में दोस्त उल्फ़त है यहाँ

 

दर्द ग़म ने रोज़ घेरा ख़ूब है

एक पल भी तो न राहत है यहाँ

 

हर घड़ी दिल में वफ़ा मेरे भरी

बेवफ़ा दिल की न फ़ितरत है यहाँ

 

किसलिए दुनिया बनी है फ़िर अदू

हाँ  बुरी अपनी न आदत है यहाँ

 

ए ख़ुदा उससे मिला दे उम्रभर

रोज़ जिसकी ख़ूब हसरत है यहाँ

 

कर गया है बात ऐसी आज वो

रोज़ दिल में ख़ूब हैरत है यहाँ

 

आजकल की क्या करेगी ये पीढ़ी

हाँ किसी में भी न ग़ैरत है यहाँ

 

कर गया आज़म बुरा मेरा वही

देखिए  जिससे यार निस्बत है यहाँ

 

—–

*ग़ैरत = शर्म लज्जा

*हैरत = हैरानी

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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बे हया फ़िर शबाब क्यों उतरे | Ghazal be haya

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