प्यार का दिल में अपने ही आशिकाना कीजिए | Ghazal
प्यार का दिल में अपने ही आशिकाना कीजिए
( Pyar ka dil mein apne hi aashiqana kijiye )
प्यार का दिल में अपनें ही आशिकाना कीजिए
छोड़ नफ़रत को शुरु ये मुस्कुराना कीजिए
छोड़ दो दिल से ख़फ़ा होना मगर अब तो ज़रा
देखिए भी घर शुरु मेरे ही आना कीजिए
नफ़रतों में कुछ नहीं रक्खा छोड़ो दिल से सदा
दिल का घर अपना हमेशा आशियाना कीजिए
लग जायेगी प्यार को वरना बुरी नजरें देखो
बंद आँखों से सनम यूं टिमटिमाना कीजिए
प्यार की दिल को रवानी दो हमेशा के लिए
प्यार का दिल में नहीं झूठा फ़साना कीजिए
जिंदगी ग़म से घिरी है हर घड़ी मेरी बहुत
जीस्त पे ए रब खुशियों का शामियाना कीजिए
गर मिलनें आना मुझे ए दोस्त आओ मिलनें को
रोज़ “आज़म” से नहीं यूं ही बहाना कीजिए
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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