Ghazal samundar khumar ka

समुन्दर खुमार का | Ghazal samundar khumar ka

समुन्दर खुमार का

( Samundar khumar ka )

 

पलकों पे छुपा है जैसे कुछ,समुन्दर खुमार का।
कितना अजब नशा है दिलवर के, इन्तजार का।

 

ख्वाबों में माँगते है हर पल, मन्नत दीदार का।
उनपे भी कुछ असर हो जाए, मेरे प्यार का।

 

बढती ही जा रही है उसके, चाहत का ये सरूर।
वादा तो कर ले एक बार, मिलना भी है जरूर।

 

इस इन्तजार और कलियों के, रंगत बहार का।
आ करके तुम भी देखो ना, आदत हुंकार का।

 

✍?

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

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शेर सिंह हुंकार जी की आवाज़ में ये कविता सुनने के लिए ऊपर के लिंक को क्लिक करे

 

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