सांसों में ही आती रोज खुशबू रही

Ghazal सांसों में ही आती रोज खुशबू रही

सांसों में ही आती रोज खुशबू रही

( Sanson Mein Hi Aati Roj Khushboo Rahi )

 

सांसों में ही आती रोज़ ख़ुशबू रही

इसलिए याद दिल को आती तू रही

 

चैन दिल को भला कैसे हो जीस्त में

ए सनम तू नजर आती हर सू रही

 

प्यार का ही असर तेरे ऐसा हुआ

धड़कनें दिल की मेरे बेकाबू रही

 

मुंह से बोली नहीं प्यार का मुझपे ही

दोस्त करती वो आंखों से जादू रही

 

प्यार के धागे कमजोर पड़ जायेगे

हाँ अगर जो ख़फ़ा  यूं ही जो तू रही

 

प्यार की सांसों में कैसे ख़ुशबू होगी

नफ़रतों की यहां तो चलती लू रही

 

रोज़ महसूस होती है वो सांसों में

धड़कनें ही न आज़म की काबू रही

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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