घुटन | Ghutan
घुटन
( Ghutan )
भीतर की घुटन
जला देती है जिंदा शरीर
किताब के पन्नों में लगे
दीमक की तरह
खामोश जबान को
शब्द ही नहीं मिलते
शिकायत के लिए
अपनों से मिले दर्द
दिखाये भी नहीं जाते बताएं भी
सुख जाते हैं आंसू पलकों में ही
उन्हें बहाने की भी इजाजत नहीं होती
कौंध जाता है नजरों में
अतीत से होता हुआ
वर्तमान और भविष्य दोनों ही
जिनमे प्रश्न तो अनेक होते हैं
किंतु,
उत्तर और समाधान नजर नहीं आते
गलती खुद की ही हो तो
दोषी किसे करार दें
गलतफहमी में चले पैर के छाले
और आगे न चलने देते हैं
न बैठने ना सोने
भीतर की घुटन
जला देती है जिंदा शरीर
( मुंबई )