गुजारा है आजकल
( Gujara hai aajkal )
चुपचाप रहोगे तो गुजारा है आजकल
बर्बाद ये निज़ाम ही सारा है आजकल।
हर आदमी की शख़्सियत में राज सौ छिपे
कैसे बताएं कौन हमारा है आजकल।
कमबख़्त दिल है ढीठ तलबग़ार उन्हीं का
उनपर ही दिलो जान से हारा है आजकल।
मशहूर हैं जनाब जमाने में यूं हुए
उनका ही दिलफ़रेब नज़ारा है आज-कल।
उड़ते थे आसमान पे हम भी तो कल तलक
किस्मत नें ही जमीं पे उतारा है आजकल।
बस काम से ही काम रखा जाय क्यूं की अब
बेवक्त बात किसको गवारा है आजकल।
फ़िर से ख़फ़ा जनाब हुए हैं ज़रा ज़रा
सदमें में दिल हमारा दुबारा है आजकल
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )