सहारा
सहारा

सहारा

(Sahara )

 

सहारा किसका ढूँढ रहा है कि जब,

श्रीनाथ है नाव खेवईया।

रख उन पर विश्वास भवों से,

वो ही पार लगईया॥

सहारा किसका….

*

कर्म रथी बन धर्म पे ही चल,

मन में नाथ को अपने रख कर।

गर विश्वास प्रबल होगा तक,

वो ही है पार लगईया॥

सहारा किसका…..

*

विष में अमृत भर देता वो,

जनम मरण को तर देता वो।

मीरा का भगवान वही है,

वो ही नाग नथईया॥

सहारा किसका…..

*

वो ही श्रीहरि वो ही राघव,

वो ही कृष्ण कन्हैया।

शबरी की बेरी में वही है,

वो ही रास रचईया॥

सहारा किसका…..

*

शेर के अन्तर्मन में वो है,

इस जग के कण-कण में वो है।

क्यों मूरख बन भटक रहा है,

जब वो राह दिखईया॥

सहारा किसका….

 

✍?

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

 

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