
सहारा
(Sahara )
सहारा किसका ढूँढ रहा है कि जब,
श्रीनाथ है नाव खेवईया।
रख उन पर विश्वास भवों से,
वो ही पार लगईया॥
सहारा किसका….
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कर्म रथी बन धर्म पे ही चल,
मन में नाथ को अपने रख कर।
गर विश्वास प्रबल होगा तक,
वो ही है पार लगईया॥
सहारा किसका…..
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विष में अमृत भर देता वो,
जनम मरण को तर देता वो।
मीरा का भगवान वही है,
वो ही नाग नथईया॥
सहारा किसका…..
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वो ही श्रीहरि वो ही राघव,
वो ही कृष्ण कन्हैया।
शबरी की बेरी में वही है,
वो ही रास रचईया॥
सहारा किसका…..
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शेर के अन्तर्मन में वो है,
इस जग के कण-कण में वो है।
क्यों मूरख बन भटक रहा है,
जब वो राह दिखईया॥
सहारा किसका….
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )