Love Shayari | Romantic Ghazal -गुलाब कहूं या बहार कहूं
गुलाब कहूं या बहार कहूं
( Gulab Kahoon Ya Bahar Kahoon )
गुलाब कहूं या बहार कहूं।
तुम्ही बतादो क्या मैं यार कहूं।।
हम मुशाफिर है हमें क्या मालूम,
तुम्हें कश्ती नदी पतवार कहूं।।
अजीब शर्त है इस महफिल की,
अगर कहूं तो बार बार कहूं।।
जिंदगी में ये कैसी उलझन है,
बिना चाहे तुम्हें सरकार कहूं।।
और भी हाथ थे हथेली में,
शेष मैं कैसे खुद हकदार कहूं।।