गुरु ज्ञान की ज्योत | Guru Gyan ki Jyoti
गुरु ज्ञान की ज्योत
( Guru Gyan ki Jyoti )
हे गुरुवर तू मेरे देश में
ज्ञान की ज्योत जगा दे !
बल बुद्धि विद्या वैभव से
अंधकार को दूर भगा दे ।
मोह माया की सुरा को पीकर
सोया है जो राष्ट्र
छेड़ ज्ञान की तान यहां तू
भ्रष्टाचार मिटा दे ।।
हे गुरुवर तू मेरे देश में
ज्ञान की ज्योत जगा दे !
बन ऋषि वाशिष्ठ तूने कभी
श्री राम को पाठ पढ़ाया
देवों के जो देव योगेश्वर
सांदीपनि गुरु कहलाया
द्रोण बने तुम अर्जुन के
एकलव्य वीर कहलाया ।
खोली चोटी तुमने तो तुम
बन गए वीर चाणक्य
दंग रह गया सारा राष्ट्र
ऐसा अद्भुत लक्ष्य ।
ज्ञान प्रेम और निर्मलता का
ऐसा नीर बहा दे।।
हे गुरुवर तू मेरे देश में
ज्ञान की ज्योत जगा दे !
माना तेरे हाथ बंधे हैं
सीमाओं के अंदर
पर फिर भी तू
रच सकता है
ऐसे दिव्य मंत्र ।
यम-नियम-संयम से फिर तू
चमत्कार दिखला दे ।।
हे गुरुवर तू मेरे देश में
ज्ञान की ज्योत जगा दे !
डॉ. जगदीप शर्मा राही
नरवाणा, हरियाणा।