गुज़र जाये घड़ी मुश्किल यहाँ की | Guzar Jaye Ghadi
गुज़र जाये घड़ी मुश्किल यहाँ की
( Guzar jaye ghadi mushkil yahan ki )
हुई है हद ख़ुदा अब इम्तिहां की
गुज़र जाये घड़ी मुश्किल यहाँ की
रखा है राज़ दिल में ही दबाकर
न बातें सामने लेकिन बयां की
मिटा दूंगा वतन के सब अदू को
मुझे यारों कसम है हिंदोस्तां की
मिला इंसाफ मुझको ही नहीं है
बहुत ही बेगुनाही कल अयां की
लगेंगी बददुआएं तुझको ज़ालिम
बहुत ही ख़ाक तूने बस्तियां की
सज़ा जिसकी मिली मासूम को है
कहूँ सच वो मगर ग़लती कहाँ की
वहाँ से ही दग़ा मुझको मिली है
वफ़ा दिल से मगर आज़म जहां की