आँसू | Aansoo
आँसू
ह्रदय के हरेक भाव का द्रव भी,
बह कर बन जाता है आँसू ।
प्यार घृणा करुणा के विरोध का,
द्रवित रूप होता है आँसू ।।
सभी भावों की अभिव्यक्तियों पर,
टपक आँख से जाता आँसू ।
मन हँसता तो हँसे है वक्त भी,
गिर जाता है आँख से आँसू ।।
उसका स्थान नियत है कर डाला,
मनुज आँख में बसता आँसू।
बन कर अदृश्य चुपचाप पड़ा,
हर किसी की आँख में आँसू ।।
हृदय वेदना का है बनता जब
एक मात्र पहचाना आँसू।
शिलाखण्ड से पिघला लावा-सा
फूटा झर-झर अंदर आंसू ।।
यदि कंधे से कंधा मिल जाये
छल-छल कर आ जाता आँसू।
यदि प्रियतम की मिल जाये छाती
मन की आग बुझाता आँसू।।
ममता की गोदी मिल जाए
धारा बन कर फूटे आँसू ।
आँचल के दोनो उरोज से
जीवन बन कर फूटे आँसू।।

सुशीला जोशी
विद्योत्तमा, मुजफ्फरनगर उप्र