हमारे वृद्ध

( Hamare Briddh ) 

 

बुजुर्गों के हाथ आशीर्वाद
के लिए उठे तो अच्छे लगे
यह दौलत, शोहरत ,नाम
यही छूट जाना है रहना है
सिर्फ इंसानियत और इंसान
यह चिंतन मनन और मंथन
अनुभव, तजुर्बा, गहनता
वृद्ध फलदार वृक्ष की तरह
हंसते, मुस्कुराते आशीष देते
तटस्थता, सहजता, सरलता
प्रकृति से सब कुछ पाकर
संवेदनाओं, सौम्यता ,पूर्णता
प्रकृति को फिर लौटते हुए
हलचल में भी निर्मल, शांत
अपने ज्ञान की धरोहर को
दूसरों को आवंटित करते
विविध परिदृश्य में कुशलता
से तादम्य स्थापित करते
शीतल जल सा स्नेह लेपन
मृदु वचन वाणी से झरते
ऐसे कुछ वृद्ध जन होते हैं

 

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

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