हमने करार चाहा तो आकर के ग़म मिले
हमने करार चाहा तो आकर के ग़म मिले

हमने करार चाहा तो आकर के ग़म मिले

( Hamne Karar Chaha To Aakar Ke Gam Mile )

 

हमने करार चाहा तो आकर के ग़म मिले।
जब भी किसी मुकाम पे जाकर के हम मिले।।

 

रक्खा था जिनको पाल के सीने में रात-दिन।
सुख के हसीन ख्वाब के हमको भरम मिले।।

 

जो बांटते थे शांति सभी को जहान मे।
हमको मिजाज उनके भी बिल्कुल गरम मिले।।

 

पैदा हुआ है जो वो बचेगा कभी नहीं।
सबको जमीं पे आके ही रंजो-अलम मिले।।

 

हमने लुटा दिया सभी चैनो-अमन “कुमार”।
फिर भी कभी न उन के रहम-ओ-करम मिले।।

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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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