हंसते खिलते फूल | जलहरण घनाक्षरी
हंसते खिलते फूल
( Hanste khilte phool )
हंसते खिलते फूल,
कितने प्यारे लगते।
हंसते गाते बच्चे भी,
चांद सितारे लगते।
मुस्कानों के मोती देखो,
खिले फूल गुलाब सा।
खुशियां बरसे यहां,
चमन प्यारे लगते।
मोहक महक प्यारी,
मन में उमंग जागे।
खिलते फूल दिलों के,
सबसे न्यारे लगते।
सद्भाव प्रेम फैलाए,
हर्ष आनंद वो लाए।
दुनिया में नेह भरे,
भावन सारे लगते।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )