Shani Dev
Shani Dev

नौ ग्रहों के स्वामी शनिदेव

( Nau grahon ke swami shani dev ) 

 

नौ ग्रहों के स्वामी और न्यायाधीश आप कहलाते,
सूर्य नारायण पिता जिनके संध्या कहलाती माते।
इस हिन्दू धर्म में है जिनकी अनेंक मौजूद कथाएं,
शनि देव है नाम जिनका कलयुग देव कहलाते।।

ग़रीब चाहें हो अमीर सम्पूर्ण लोग जिनसे है डरते,
सांवला-रंग है उनका पर निष्पक्ष न्याय वो करते।
हथियार धनुष बाण एवं त्रिशूल हाथ में जो रखते,
रोगो से मुक्ति दिलाकर लंबी आयु प्रदान करते।।

अच्छे बुरे कर्मों का लेखा शनि देव के पास रहता,
ज्योतिष में जिनको भयानक ग्रह में माना जाता।
कठोर तप करके इन्होंने ये पद भोले से पाया था,
तब से नव ग्रहों में पृथ्वी पर इनको पूजा जाता।।

जिनके न होते अच्छे कर्म यह उन्हें परेशान करते,
जिन पे हो जाते मेहरबान उसे आनंदित कर देते।
शास्त्रानुसार ३० दिनों तक यह एक राशि में रहते,
जिन्हें देवता दानव गंधर्व नाग सब प्राणी जपते।‌।

ब्रह्म-पुराण के अनुसार आप श्रीकृष्ण के भक्त थें,
चित्ररथ नाम की कन्या संग शादी आप रचाएं थें।
तेल कोयले काले तिल उड़द जूतें इनको पसंद थें,
लोहे एवं स्टील धातु को शनिदेव ही अपनाएं थें।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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