हर घड़ी ग़म तेरे उठाने है
हर घड़ी ग़म तेरे उठाने है
हर घड़ी ग़म तेरे उठाने है
अश्क आंखों से अब गिराने है
तोड़ी सारी रस्में उसी ने थी
वादे फ़िर भी हमें निभाने है
आपकी याद में सनम अब तो
दिल को ताउम्र ग़म उठाने है
इक दिन सबको झूठी मुहब्बत के
गुजरे वो किस्से भी सुनाने है
रब के घर जाकर इक दुआ मांगी
दुख दिल के जो सभी भुलाने है
बेसबब लग गये यहां जो भी
दाग दामन से वो मिटाने है
आज़म बैठी नफ़रत जहां दिल में
हमको हिस्से वो ही जलाने है