हरा रंग | Hara Rang par Kavita
हरा रंग
( Hara rang )
हरा रंग हरियाली का सद्भाव प्रेम खुशहाली का
उत्साह पत्ता डाली का सुरभीत चमन माली का
धरा मुस्कुराने लगी फिर ओढ़कर धानी चुनरिया
कुदरत लहराने लगी ज्यों झूमी ब्रज में गुजरिया
हरी भरी ये वसुंधरा हमारी लगती सबको प्यारी है
रंग बिरंगे फूलों की महकती केसर की सी क्यारी है
हरा रंग मन को भाये हरी हरी चूड़ियां पिया लुभाये
हरी वादियां मन मुस्काए खुशियों से चेहरे भर जाए
सुख समृद्धि वैभव देता हृदय मन मुदित कर देता
झूम उठता है आंगन सारा मुस्कानों के मोती देता
इंद्रधनुष का आकर्षण आंखों को लगे सबसे प्यारा
संपन्नता समृद्धि वैभव खुशियों का है भाग्य सितारा
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )