हार हो गई | Haar ho Gai
हार हो गई
( Haar Ho Gai )
सारी मेहनत बेकार हो गई
इस बार भी हार हो गई
कोशिश की थी बहुत हमने
मगर बेवफा सरकार हो गई ।
बड़ी मेहनत से उसको पाया था
बड़ी मुश्किल से करीब लाया था
अचानक वह फरार हो गई
किस्मत फिर दागदार हो गई ।
पास आकर वो चली गई
किस्मत फिर से छली गई
ख्वाब देखता रहा उम्रभर
धीरे-धीरे जवानी ढली गई।।
दोष अपना है कि जमाने का
क्या खता है दीवाने का
नौकरी आकर चली जाती है
दोष लगता फिर एक बहाने का।।
कवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ”
औराई, भदोही ( उत्तर प्रदेश।)