आर या पार | हास्य कविता
आर या पार
( Aar ya paar )
बीवी का जन्मदिन था यार,
मेरे लिए था बड़ा त्यौहार।
लेकिन जन्मदिन इस बार ,
लाया संग मुसीबत अपार।
देना था मुझे उसे उपहार,
लेकर आया मैं एक हार।
आ रहा है तुम पर प्यार,
इसको तुम पहन लो यार।
देख हाथ में हीरो का हार,
लगी टपकने मुँह से लार।
खड़ी है चमचमाती कार,
जल्दी से हो जाओ तैयार।
फ्लाइट की टिकट है तैयार,
जाना हमें सीमा के पार।
जल्दी करो मेरी सरकार,
हो रहा वहाँ हमारा इंतज़ार।
बड़ा ही महंगा है यह हार,
चोरी का खतरा है यार।
पास रखेंगे अपने चौकीदार,
हो जाए जिससे सुरक्षित हार।
बीच रास्ते में मिला तड़ीपार,
जो दिखने में था बड़ा खूंखार।
बेहोश हो गया चौकीदार
हार लेकर वह हुआ फरार।
तब से बीवी लड़ती है यार,
कहती है बस आर या पार ।
लाकर दे दो मुझको वो हार
नहीं तो जाऊंगी संग तड़ीपार।
देख ऐसी अनोखी नार,
हो गया मेरा बंटाधार।
कवि : सुमित मानधना ‘गौरव’
सूरत ( गुजरात )
#laughterkefatke
#sumitkikalamse