
आती नहीं दिवाली कभी हमारे घर
( Aati nahi diwali kabhi hamare ghar )
आती नहीं दीवाली तुम क्यों, कभी हमारे छोटे घर।
हर बार तुम क्यों जाती हो, बड़े शहर और मोटे घर।।
बाबा कहते हैं अपने घर, नहीं मिठाई मीठी है
अम्मा कहती किस्मत है सब, हांडी सारी रीती है
सालों से नए कपड़े हमने, नहीं सिलाए अपने भी
बाबा कहते पूरे होंगे एक दिन सारे सपने भी
सुनो दीवाली आ जाओ न, मत जाओ तुम खोटे घर।
आती नहीं दीवाली तुम क्यों कभी हमारे छोटे घर।।
कल रात से बाबा अम्मा, बाज़ार की ओर गए
दीवाली को साथ लायेंगे, कहकर मुझको छोड़ गए
बिक जाएं सब दीपक उनके, कान्हा उनकी सुनो पुकार
दीवाली भी आ जायेगी, शायद अबके मेरे द्वार
खुशियां होंगी तुम संग सारी, नहीं रहेगें रोते घर।
आती नहीं दीवाली तुम क्यों, कभी हमारे छोटे घर।।
कवि : भोले प्रसाद नेमा “चंचल”
हर्रई, छिंदवाड़ा
( मध्य प्रदेश )
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