हे कृष्ण मुरारी | Hey Krishna Murari
हे कृष्ण मुरारी
( Hey Krishna Murari )
हे!कृष्ण मुरारी
तुम्हें फिर इस धरा पर
आना होगा
छोड़ बाँसुरी की
मधुर तान
व्यभिचारी दुःशाशनों से
द्रोपदी का
चीर बचाना होगा
नारी आज
अबला नहीं सबला है
ये अहसास
उन्हें कराना होगा
उनके भीतर
काली और दुर्गा के
स्वरूप से
रूबरू कराना होगा
स्त्री की इज्जत पर हाथ
डालने वालो को
अपना विराट और रौद्र
रूप बताना होगा
हे! मधुसूदन
एकबार फिर से शंख
बजाना होगा
उन पर सुदर्शन चक्र
चलाना होगा…….!!!
निर्मल जैन ‘नीर’
ऋषभदेव/राजस्थान