हिन्दी मे कुछ बात है | Short Poem on Hindi Diwas
हिन्दी मे कुछ बात है
( Hindi me kuch baat hai )
हिन्दी दिवस पर विशेष (कविता)
हिन्दी अपनी मातृभाषा,
हिन्दी में कुछ बात है!
हिन्दी बनी राष्ट्र भाषा,
भारत देश महान में।
‘नेताजी’ ” के हिन्दी नारे,
गूंजे हिंदुस्तान में।
‘गुप्त’ सरीखे राष्ट्र-कवि,
‘तुलसी’ जैसे महाकवि।
जाने कितने अमर हो गए,
लिखकर इसी जुबान में।
हिन्दी के महत्त्व को समझो,
जागो तभी प्रभात है।।
हिन्दी अपनी मातृभाषा —
भारतेंदु ने सही कहा था,
निज-भाषा उन्नति का मूल।
शायद उन कवियों की बातें,
आज हम सब गए है भूल।
राष्ट्रभाषा को अपनाकर,
रूस,व चीन, जापान बढे,
भेड चाल छोङो कुछ सीखो,
यही है भारत के अनुकूल।
राष्ट्रभाषा को बिसराकर,
हमने खाई मात है।।
हिन्दी अपनी मातृभाषा -–
हाय! हैलो! गुङमाॅर्निंग,
संस्कृति पर घात है।
राम-राम, आदाब, नमस्ते,
गहरी इनमें बात है।
एक उसी के बंदे हम सब,
आपस में सब एक है।
जो भारत को एक बनाती,
ये वो मुलाकात है।
एकता का बोध कराने,
में हिन्दी विख्यात है ।।
हिन्दी अपनी मातृभाषा —
कोई भी हो भाषा-भाषी,
सब अपने है ग़ैर नही।
इंग्लिश भी अपनालो चाहे,
हमे किसी से बैर नही।
राष्ट्रभाषा हिन्दी पर,
लेकिन समझौता ना होगा।
ना इसका सम्मान करे जो,
“कुमार” उसकी खैर नहीं।
बहुत सुन चुके,बहुत सह चुके,
नहीं और बर्दाश्त है ।।
हिन्दी अपनी मातृभाषा —
लेखक: मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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