
आ जलाये दिल में रोशनी इल्म की
( Aa jalaaye dil mein roshani ilm ki )
आ जलाये दिल में रोशनी इल्म की
रोशनी हर दिल में हो सभी इल्म की
रोशनी ये बुझेगी न दिल से कभी
होगी रोशन सदा जिंदगी इल्म की
फैलायेगी जहां में रोशनी बनके
होगी हर चेहरे पे वो ख़ुशी इल्म की
दीप ऐसा जलाया ख़ुदा ने दिल में
ये बुझेगी नहीं रोशनी इल्म की
इज्जत मिलती हमेशा जहां में जिससे
रोशनी दिल में ऐसी जली इल्म की
चांद बनके ऐसी फ़ैली है हर इंसा में
रोशनी बुझेगी न ये कभी इल्म की
रोशनी है ये ऐसी बढ़ेगी सदा ए आज़म
दिल से होगी नहीं ये कमी इल्म की
️
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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