मां पर कविता | Hindi me Maa par Kavita
मां पर कविता
( Maa par kavita )

( Maa par kavita )
टूटकर फूल डाली से ( Toot kar phool daali se ) टूटकर फूल डाली से गिरा जब चमन में बगिया हर्षित हुई थी भाव उमड़े मन में खुशबुओं को यूं समेटे समाए हो तन में चेहरे की हो मुस्कान उमंग सारे बदन में टूटकर फूल ना फूली समाई थी जब दुनिया ये सारी फूल…
सुन खरी-खरी! ( Sun khari-khari ) खामियाँ निकालने में साँसें तेरी नप जाएँगी, रख होश-ओ-हवास काबू में,साँसें उखड़ जाएँगी। न वक़्त है तेरे काबू में और न ही दिल है काबू में, किसी प्रतिशोध में खूबसूरत दुनिया उजड़ जाएगी। न तेरी मुट्ठी में जमीं है,न आसमां,न चाँद-सितारे, एकदिन तेरे जिस्म से ये रुह भी…
दिकु, अब लौट भी आओ तू दूर गई तो साँसें भी रूठ गई हैं,आँखों की दुनिया वीरान होकर छूट गई हैं।तेरे बिना ये दिल बेज़ार सा है,हर लम्हा मेरा जैसे अंधकार सा है। हवा से कहूँ या बादलों से बोलूँ,तेरी यादों का किस्सा, मैं किस किस से तोलूँ?राहों में बैठा तेरा इंतज़ार करता हूँ,तू लौट…
मेरे प्रभु श्रीराम ( Mere prabhu shri Ram ) सभी याद करते है उस ईश्वर को उस वक्त, चाहें वह हो नास्तिक हिल जाता है तख्त। ख़ून की कमी में मिल ना रहा हो उसे रक्त, दुःख पीड़ा चाहें कष्ट हो बनते है वो भक्त।। धर्मात्मा तो हर समय करतें है इनको याद, भूख…
हे नट नागर आओ ( Hey nat nagar aao ) हृदय कमल पर मृदुल चरण धर, मन ही मन हर्षाओ। हे नट नागर आओ। ललित लास्य हो अभिनव लीला। फहराये दुकूल पट पीला। अरुण अधर पर विश्व मोहिनी मुरली मधुर बजाओ। हे नट नागर आओ। उतरें भू पर सुर बालायें। देख त्रिभंगी छवि मुसकायें।…
पैसों की जुबा सुनलो ( Paison ki zuban sunlo ) हर बार कसूर क्यों मुझ पर ठहराते हो? मेरे लिए क्यों इंसान अपनों से अलग हो जाते हो ? मैं आज हुँ कल नहीं फिर क्यों इतना इतराते हो ? मेरी मामूली किमत रिश्तों से क्यों लगाते हो ? तुम्हारी बेमतलब…
टूटकर फूल डाली से ( Toot kar phool daali se ) टूटकर फूल डाली से गिरा जब चमन में बगिया हर्षित हुई थी भाव उमड़े मन में खुशबुओं को यूं समेटे समाए हो तन में चेहरे की हो मुस्कान उमंग सारे बदन में टूटकर फूल ना फूली समाई थी जब दुनिया ये सारी फूल…
सुन खरी-खरी! ( Sun khari-khari ) खामियाँ निकालने में साँसें तेरी नप जाएँगी, रख होश-ओ-हवास काबू में,साँसें उखड़ जाएँगी। न वक़्त है तेरे काबू में और न ही दिल है काबू में, किसी प्रतिशोध में खूबसूरत दुनिया उजड़ जाएगी। न तेरी मुट्ठी में जमीं है,न आसमां,न चाँद-सितारे, एकदिन तेरे जिस्म से ये रुह भी…
दिकु, अब लौट भी आओ तू दूर गई तो साँसें भी रूठ गई हैं,आँखों की दुनिया वीरान होकर छूट गई हैं।तेरे बिना ये दिल बेज़ार सा है,हर लम्हा मेरा जैसे अंधकार सा है। हवा से कहूँ या बादलों से बोलूँ,तेरी यादों का किस्सा, मैं किस किस से तोलूँ?राहों में बैठा तेरा इंतज़ार करता हूँ,तू लौट…
मेरे प्रभु श्रीराम ( Mere prabhu shri Ram ) सभी याद करते है उस ईश्वर को उस वक्त, चाहें वह हो नास्तिक हिल जाता है तख्त। ख़ून की कमी में मिल ना रहा हो उसे रक्त, दुःख पीड़ा चाहें कष्ट हो बनते है वो भक्त।। धर्मात्मा तो हर समय करतें है इनको याद, भूख…
हे नट नागर आओ ( Hey nat nagar aao ) हृदय कमल पर मृदुल चरण धर, मन ही मन हर्षाओ। हे नट नागर आओ। ललित लास्य हो अभिनव लीला। फहराये दुकूल पट पीला। अरुण अधर पर विश्व मोहिनी मुरली मधुर बजाओ। हे नट नागर आओ। उतरें भू पर सुर बालायें। देख त्रिभंगी छवि मुसकायें।…
पैसों की जुबा सुनलो ( Paison ki zuban sunlo ) हर बार कसूर क्यों मुझ पर ठहराते हो? मेरे लिए क्यों इंसान अपनों से अलग हो जाते हो ? मैं आज हुँ कल नहीं फिर क्यों इतना इतराते हो ? मेरी मामूली किमत रिश्तों से क्यों लगाते हो ? तुम्हारी बेमतलब…
टूटकर फूल डाली से ( Toot kar phool daali se ) टूटकर फूल डाली से गिरा जब चमन में बगिया हर्षित हुई थी भाव उमड़े मन में खुशबुओं को यूं समेटे समाए हो तन में चेहरे की हो मुस्कान उमंग सारे बदन में टूटकर फूल ना फूली समाई थी जब दुनिया ये सारी फूल…
सुन खरी-खरी! ( Sun khari-khari ) खामियाँ निकालने में साँसें तेरी नप जाएँगी, रख होश-ओ-हवास काबू में,साँसें उखड़ जाएँगी। न वक़्त है तेरे काबू में और न ही दिल है काबू में, किसी प्रतिशोध में खूबसूरत दुनिया उजड़ जाएगी। न तेरी मुट्ठी में जमीं है,न आसमां,न चाँद-सितारे, एकदिन तेरे जिस्म से ये रुह भी…
दिकु, अब लौट भी आओ तू दूर गई तो साँसें भी रूठ गई हैं,आँखों की दुनिया वीरान होकर छूट गई हैं।तेरे बिना ये दिल बेज़ार सा है,हर लम्हा मेरा जैसे अंधकार सा है। हवा से कहूँ या बादलों से बोलूँ,तेरी यादों का किस्सा, मैं किस किस से तोलूँ?राहों में बैठा तेरा इंतज़ार करता हूँ,तू लौट…
मेरे प्रभु श्रीराम ( Mere prabhu shri Ram ) सभी याद करते है उस ईश्वर को उस वक्त, चाहें वह हो नास्तिक हिल जाता है तख्त। ख़ून की कमी में मिल ना रहा हो उसे रक्त, दुःख पीड़ा चाहें कष्ट हो बनते है वो भक्त।। धर्मात्मा तो हर समय करतें है इनको याद, भूख…
हे नट नागर आओ ( Hey nat nagar aao ) हृदय कमल पर मृदुल चरण धर, मन ही मन हर्षाओ। हे नट नागर आओ। ललित लास्य हो अभिनव लीला। फहराये दुकूल पट पीला। अरुण अधर पर विश्व मोहिनी मुरली मधुर बजाओ। हे नट नागर आओ। उतरें भू पर सुर बालायें। देख त्रिभंगी छवि मुसकायें।…
पैसों की जुबा सुनलो ( Paison ki zuban sunlo ) हर बार कसूर क्यों मुझ पर ठहराते हो? मेरे लिए क्यों इंसान अपनों से अलग हो जाते हो ? मैं आज हुँ कल नहीं फिर क्यों इतना इतराते हो ? मेरी मामूली किमत रिश्तों से क्यों लगाते हो ? तुम्हारी बेमतलब…