अकेलापन | Hindi Poem Akelapan
अकेलापन
( Akelapan )
अकेलेपन का ज़हर जो पी रहे हैं,
साँस थमने की आस में जी रहे हैं,
कुछ बातें होती हैं जो कहनी होती है,
अनकहे से दर्द होते जो बांटनी होती है,
कोई हो ऐसा जो उन पलों में थाम ले,
मोहब्बत से अपने होने का एहसास दे,
उन एहसासों में फिर से जीना सिखा दे,
तन्हाई के ज़हर को तीरियाक दिला दे,
जिस तरह हर ख़्वाहिश पूरी नहीं होती,
हर राह पे रहबर मिले ज़रूरी नहीं होती,
बड़ी खुबसूरती से हमारे कर्म सामने आते,
आँखों में फिर वही गुज़रे हुए ज़माने आते,
अब अपनी फ़िक्र करता कहाँ ज़िन्दगानी है,
बज़ाहिर ख़ुश है मगर आँखों में पानी है!
आश हम्द
पटना ( बिहार )
तीरियाक:- विषनाशक
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