आज़ादी | Hindi Poem Azadi
आज़ादी
( Azadi )
है कोई सैनानी
सड़कों पर आ कर हम को भी दिलाऐ
मंहगाई,बेरोजगारी,
अशिक्षा और असमानता से,
भूखमरी, अल्प पगारी,
मिलावट और मक्कारी से,
आज़ादी,,,!!!
है कोई सैनानी
सड़कों पर आ कर हम को भी दिलाऐ
पूंजीवाद, जमाखोरी,
भ्रम और भ्रष्टाचारी से,
घृणा,अपमान,
छूआछूत की बिमारी से,
आज़ादी,,,!!!
है कोई सैनानी
सड़कों पर आ कर हम को भी दिलाऐ
धोखा, धिक्कार,
उत्पीड़न और तिरष्कार से,
यातना, चित्कार,
गरीबी और दरिद्रता से,
आज़ादी,,,!!!
है कोई सैनानी
सड़को पर आ कर हम को भी दिलाऐ
धर्मांधता, जातिवाद,
हिंसा और साम्प्रदायिकता से।
झूठ, छल-कपट,
ठगी और लूटमारी से,
आज़ादी,,,!!!
है कोई सैनानी
सड़को पर आ कर हम को भी दिलाऐ
पाखंड, अंधविश्वास,
आडंबर और मनुवाद से,
दहेजप्रथा, ठेकाप्रथा से,
भाषा और क्षैत्रवाद से,
आज़ादी,,,!!!
है कोई सैनानी
सड़को पर आ कर हम को भी दिलाऐ
पक्षपात, अन्याय,
भेदभाव और शोषण से।
हिंसा, आंतकवाद,
दुष्कर्म और दुर्व्यवहार से,
आज़ादी,,,!!!
है कोई सैनानी
सड़कों पर आ कर हम को भी दिलाऐ
वर्ण-व्यवस्था, भेदभाव
ऊंच-नीच की मानसिकता से।
फूटपाथों पर गुजरती जिंदगी,
सिकुड़ती नाक और भोंऐ से
आज़ादी,,,!!!
है कोई सैनानी
सड़कों पर आ कर हम को भी दिलाऐ
जूआ, शराब,
नारी अस्मत की लूटमार से
व्याभिचार से,
चोरी, डकैती,
अभद्रता और व्याभिचार से
शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”
बीकानेर।
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