Hindi Poem kohara
Hindi Poem kohara

कोहरा

( Kohara )

 

कोहरे की
चादर में लिपटी
सुबह
अठखेलियां सी
करती
हमारे हिस्से का
सूरज भी
ज़ब्त कर
खुश होती है
पगली है
नादान है

हमें तो
चेहरों पर
गिरती
धुंध भी
भा जाती है
खुशी से
सराबोर कर जाती है…

 

लेखिका :- Suneet Sood Grover

अमृतसर ( पंजाब )

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