होली में
होली में
किया जख़्मी उसी ने है मुझे हर बार होली में
गुलो के रंग से मुझपर किया जो वार होली में
नही रूठों कभी हमसे भुला भी दो गिले सारे
तुम्हारे ही लिए लाएँ हैं हम यह हार होली में
रही अब आरजू इतनी कि तुमसे ही गले लगकर
बयां मैं दर्द सब कर दूँ सुनों इस बार होली में
वही वादा तुम्हारा अब दिलाते याद हम तुमको
कभी तुमने कहा था हम मिलेंगे यार होली में
ख़िज़ां की बात मत करना ये फ़ागुन का महीना है
गले लगकर दिखाए जो वही तो यार होली में
खुशामद कर रहा झूठा यकीं करना नही लोगो
चुभाकर पीठ में खंजर जताए प्यार होली में
दिला देगा यकीं तुमको अदा से आज वह अपनी
छुपाए घूमता जो है यहाँ हथियार होली में
भुला दी दुश्मनीं कहता जहाँ से आज वो खुलकर
रफ़ीकों ने उसे देखा लिए तलवार होली में
सुना था मैं यही अक्सर नही कोई सफ़र में है
खुशी इस बात की अब संग है हकदार होली में
कभी माँगें खुदा से आदमी तो बस यही माँगे
नहीं जो गैर से मिलता मिले अधिकार होली में
करेंगे आज सब मिलकर दुआएं उस खुदा से हम
मिलें अब प्यार से सब ही न हो तकरार होली में
गिला कितना करोगे तुम हमारी इन ज़फ़ाओ का
दिखा देंगे तुम्हें भी कर के हम दीदार होली में
चलो अच्छा हुआ ये भी प्रखर को मिल गई छुट्टी
यही तो चाहता है उसका भी परिवार होली में

महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )
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