रोज़ होठों पर ये दुआ आज़म

( Roz hothon par ye dua Aazam ) 

 

प्यार में वो हुआ जुदा आज़म
कर गया खूब दिल ख़फ़ा आज़म

ग़ैर आँखें वो कर गया वो आज
वो रहा अब न आशना आज़म

ज़हर मुझको मिला जफ़ा का ही
प्यार की कब मिली दवा आज़म

जुल्म सहता रहा मुहब्बत के
कब वफ़ा में मिली वफ़ा आज़म

प्यार का फूल कब मिला उससे
रोज़ मुझको मिला गिला आज़म

तोड़ कर जा चुका वहीं रिश्ता
वो न मेरा सनम बना आज़म

ज़ीस्त से दूर हर मुसीबत हो
रोज़ होठों पर ये दुआ आज़म

 

शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )

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