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हम भी रक्षक देश के | Hum bhi Rakshak

हम भी रक्षक देश के

( Hum bhi rakshak desh ke ) 

 

कोई घबराएँ नहीं दिल में विश्वास चाहिए,
हमको सलाह नही आपका साथ चाहिए।
कोई नही है जो तुमको लूट रहा मार रहा,
हम रक्षक देश के इसका विकास चाहिए।।

परेशान नही आज सब ख़ुश रहना सीखों,
कम खाना ग़म खाना गुस्सा पीना सीखों।
कट जाएंगी साथियों यह ज़िन्दगी ऐसे ही,
थोड़ा बहुत साथ व विकास करना सीखों।।

रोज़ाना सूरज निकलता है तुम घर में रहो,
हारना नही है वाइरस से सब होश में रहो।
मिटाना है इसको हम सब-को एक होकर,
चिकित्सकों की बात माने वीर योद्धा रहो।।

इंसान है हम और इंसान ही काम आयेगा,
ख़ुशी में नही ये ग़म में बहुत याद आयेगा।
आज इस समुन्द्र के नाविक की है परीक्षा,
हम इस नैय्या में सहायक बनकर आयेगा।।

निरोगी रहें शुभ विचारों का अनुसरण करें,
प्रातः काल और संध्या एक घंटा योग करें।
रसोई घर और गृहणी कार्यो में सहयोग दे,
बच्चों के संग खेल-कूद घर अंताक्षरी करें।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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