Hum Hai Sashakt Nari
Hum Hai Sashakt Nari

हम हैं सशक्त नारी

( Hum Hai Sashakt Nari ) 

 

कई बार मैं सोचती हूं कि,
अरमान ढेर सारे और विपदाएं भी हमारी,
हाय रे नए भारत की हम हैं सशक्त नारी।

नई-नई जीवन शैली में कदम रखा,
बदले हुए हैं रंग ढंग सारे फिर हमारे
सोच विचार की हमने सारी परंपराएं तोड़ डाली,
हाय रे नए भारत की हम है सशक्त नारी ।

कितनी पढ़ाई हमने आज कर डाली
छोड़ दी ससुराल की दहलीज भी हमारी
आजादी की खातिर बना लिया बंगला और गाड़ी
हाय रे नए भारत की हम हैं सशक्त नारी।

हर जगह सम्मान मिला है मान भी
हर जगह पुरस्कृत हुई सब पर पड़ी भारी
आकांक्षाओं से आकाश तक कई उड़ाने कर डाली
हाय रे नए भारत की हम है सशक्त नारी।

लेकिन बदल सके ना रूढ़िवादी लोगों को
जो ना करें अंतर बेटी और बहु में आज
हां हम भी ओढ़ते हैं चुनर मर्यादाओं वाली
हाय रे नए भारत की हम हैं सशक्त नारी ।।

आज भी महिलाएं अग्नि में धकेली जाती है
आज भी प्यार के नाम पर एसिड अटैक पाती हैं
अपने हृदय की व्यथा किसी से ना कह पाती
हाय हाय रे नहीं भारत की हम हैं सशक्त नारी ।।

आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश

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