Yahan wahan bikhre pannon per

यहाँ वहाँ बिखरे पन्नों पर | Hunkar poetry

यहाँ वहाँ बिखरे पन्नों पर

( Yahan wahan bikhre pannon per )

 

1.

यहाँ वहाँ बिखरे पन्नों पर, नाम लिखा हैं मेरा।
धुधंली सी यादों में शायद, नाम लिखा हैं तेरा।
शब्द शब्द को जोड़ रहा हूँ, मन मंथन बाकी है,
याद नही कि कौन था दिल पे,नाम लिख दिया तेरा।

 

2.

उड़ा दो लाल गुलाल के संग, दिलों से नफरत बेगाने।
फिंजा में प्यार के रंग भरो, बुझा के जलते अंगारे।
फाग का रंग अनंग के संग, मना लो मस्ती में प्यारे,
यही है जीवन का सबरंग,रंगों हर दिल को अन्जाने।

 

3.

किससे मन की बात कहे हम,मन का मीत मिला ना।
प्रेम अगन में दहके तन मन ,प्रीति से रीत मिला ना।
तपती धरती हृदय बनी, अम्बर मैं मेघ नही है,
नयन कोर आँसू से भींगे, मुझको प्रीत मिला ना।

 

4.

जगती सी आँखों में मेरे, नींद कहाँ है बोलों।
सारे सपने यही कही है,खोल के इसे टटोलों।

 

✍?

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

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