ईश वन्दना | Ish Vandana
ईश वन्दना
( Ish Vandana )
कमल पुष्प अर्पित करना, शिव शम्भू तेरे साथ रहे।
इस त्रिभुवन के अरिहंता का,सम्मान हृदय में बना रहे।
आँखों के मध्य पुतलियों में, भगवान हमेशा बने रहे,
हो दशों दिशा मे नाम सदा, जयकार हमेशा बना रहे।
विघ्नहरण गणपति की स्तुति, जो है तारणहार।
सदा भवानी दाहिने जो, सफल करे हर कार।
सुर्य चन्द्र ब्रहृमा विष्णु सम, नाम ना सकल जहान,
कलयुग के भगवान सदा से, राम भक्त हनुमान।
सुरसरिता मंदाकिनी, नमों नर्मदे मात्।
सिन्धू ताप्ती कावेरी, गोदावरी नाशे पात।
सरयू सतलज ब्रहृमपुत्र जल, मानो देव प्रसाद,
क्षीर्ण सभी पूजन तेरा जो, पूजे ना भारत मात।
हर कंकड़ शंकर सदा, हर मन शालिग्राम।
तुलसी जिस आँगन खिले, हरि का वही निवास।
रामनाम से मुक्ति मिले, भव हीन करे श्रीनाथ,
त्रिपुर सुन्दरी माँ अम्बें सम, जयति करे हुंकार।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )